एक साथ इतने सारे लोग का वशीकरण?


हिप्नोटिज्म आज दुनिया में सारे के सारे लोग हिप्नोटाइज है उनकी जो सोचने लगती है जो उनकी है  पर हकीकत में उनकी नहीं है आज आपके मन में जो भी ख्याल हैं आप जो भी सोचते हैं जिस चीज के बारे में भी सोचते हैं दरअसल वो आपकी सोच नहीं है वह कुछ चुनिंदा लोगों की सोच है जो आपके दिमाग में डाली गई है जैसे आज आप जो भी कर रहे हैं कभी आपने उसके बचपन में कल्पना भी की थी नहीं दरअसल आप उसे जानते तक नहीं थे फिर आज अचानक कैसे तो यह जो काम आज आप कर रहे हैं आपके मां-बाप की आपके रिश्तेदारी आपका समाज इन सब लोगों ने मिलकर आपके दिमाग में  सोच डाली जब आप छोटे थे तभी आपको हिप्नोटाइज किया जा रहा तभी आपके दिमाग में सोच रहा ली जा रही थी कि बड़े हो कर कमाना है काम करना है पैसे लाने हैं क्या करना है क्या नहीं करना है तो आपकी सोच तो कभी विकसित हुई नहीं यह तो आज जो आपके दिमाग में भी है वह सब समाज या फिर पुराने लोग के समय समय के हिसाब से जिन जिन लोगों ने अपने विचार धाराओं का आगे बढ़ाया ही उनकी सोच है
आज हम धर्म के आधार पर  बटे हुए  पर सच में यह किसने बताया कि तुम्हारा धर्म क्या है कि तुम्हारी जाति क्या है आपके मां  बाप ने और समाज में और उनको किसने बताया उनके मां-बाप और उनके समाज में और यही सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चला रहा है हकीकत तो किसी को कुछ पता ही नहीं है ना  ! छोटा बच्चा जब पैदा होता है तब उसे कुछ पता नहीं होता है एक तरह से एक ब्लैंक नोटबुक जैसा होता है  एक बिना छपे हुए कागज के जैसे और आपको जो लिख देते हैं उसके हिसाब से उसकी तकदीर जाकर में उसकी जाति सब कुछ निर्धारित होती है उस पर लिखे गए अच्छे शब्दों से धर्म ग्रंथ पुस्तक लिखे गए बुरे शब्दों से बुरी चीजें या कुछ भी बना देते हैं

हम लोग ऐसे हैं कि हमने जानवरों तक को  हिप्नोटाइज कर लिया  जानवरों के हमने पालतू बना लिया उनको हमने हिप्नोटाइज कर लिया वह जंगल में रहते थे उन्होंने घर के लायक बना लिया
 सर हम यह नहीं जानते हम कर किसके कहने पर रहे हैं हम बस भीड़ की तरह भीड़ में चलते रहते हैं कोई फर्क नहीं पड़ता है क्यों है क्यों जानने की आदत नहीं है हमें बस फॉलो करते रहो चाहे राजनीति हो चाहे  न्यूज़ मीडिया जो हमें देखा है बस उस पर विश्वास करते रहो जानने की कोशिश मत करना कि ऐसा क्यों है

हम लोग ऐसे हैं कि हमने जानवरों तक को  हिप्नोटाइज कर लिया  जानवरों के हमने पालतू बना लिया उनको हमने हिप्नोटाइज कर लिया वह जंगल में रहते थे उन्होंने घर के लायक बना लिया
 सर हम यह नहीं जानते हम कर किसके कहने पर रहे हैं हम बस भीड़ की तरह भीड़ में चलते रहते हैं कोई फर्क नहीं पड़ता है क्यों है क्यों जानने की आदत नहीं है हमें बस फॉलो करते रहो चाहे राजनीति हो चाहे  न्यूज़ मीडिया जो हमें देखा है बस उस पर विश्वास करते रहो जानने की कोशिश मत करना कि ऐसा क्यों है यह

 भगवान किसी एक की कल्पना थी चित्र आज हम देखते हैं यह भी किसी की कल्पना  थी पर आज हकीकत  जैसा है

on Tuesday 29 October 2019 | | A comment?
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